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विश्व फोटोग्राफी दिवस के अवसर पर दैनिक जागरण में प्रकाशित SK सर का लेख ।आज से ठीक 181 वर्ष पूर्व 19 अगस्त 1839 को जब फ्रांस की सरकार ने फ्रांसीसी पेंटर और आर्टिस्ट लुइस मैंडे डैग्युरे द्वारा बनाए गए डैग्युरेटाइप कैमरे के माध्यम से कला की एक नवीन विधा फोटोग्राफी के आविष्कार की घोषणा की और इसे विश्व भर के मानव को समर्पित किया तब किसी को अंदाजा भी ना रहा होगा की घंटों के अथक प्रयास और कुशल एवं प्रशिक्षित हाथों द्वारा बनकर तैयार होने वाली ब्लैक एंड व्हाइट फोटोग्राफी भविष्य में मानव जीवन का अभिन्न हिस्सा बन जाएगी, और समस्त कला विधाओं को दरकिनार करते हुए शीर्ष पर जा पहुंचेगी। फोटो खींचना और उसे पूरी दुनिया में हजारों लाखों लोगों तक भेजना पलक झपकाने जैसा आसान कार्य हो जाएगा।अगर हम इतने पीछे ना भी जाएं तो अभी 21वीं सदी की शुरुआत में ही जब डिजिटल फोटोग्राफी धीरे धीरे अस्तित्व में आ रही थी, उस समय भी किसी ने नहीं सोचा होगा कि आगे चलकर डिजिटल इमेजिंग टेक्नोलॉजी और कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी का गठजोड़ आज के स्मार्टफोन और मोबाइल कैमरे के रूप में इतने व्यापक रूप में हर घर और हर हाथ तक पहुंच जाएगा। दिसंबर 2019 के आंकड़े के मुताबिक भारत में 50 करोड़ लोगों के पास स्मार्टफोन है और इस प्रकार हर व्यक्ति फोटोग्राफर बन गया है।आज आम आदमी के जीवन के हर सुख दुख और महत्वपूर्ण घटनाओं से जुड़ा दृश्य कैमरे में कैद हो रहा है। अगर प्रयागराज में 2019 में लगे कुंभ मेले पर नजर डालें तो जहां एक दिन में करोड़ों लोगों ने स्नान किया जो विश्व रिकॉर्ड बना उसी के साथ एक और विश्व रिकॉर्ड बना किसी एक स्थल पर उपस्थित सर्वाधिक कैमरे और फोटोग्राफी का रिकॉर्ड। जहां पल पल की तस्वीरें और वीडियो पूरे विश्व भर में सीधे प्रसारित हो रही थी और अरबों लोगों द्वारा देखी जा रही थी। और यह प्रसारण सिर्फ व्यावसायिक फोटोग्राफरों और मीडिया चैनलों और अखबारों द्वारा ही नहीं, साधारण आम नागरिकों यहां तक कि नागा साधु, संतों, महात्माओं, शहरी और ग्रामीण तीर्थयात्रियों और छोटे-छोटे बच्चों के हाथ में स्मार्टफोन के माध्यम से हो रहा था।वसुधैव कुटुंबकम यानी पूरा विश्व एक कुटुंब के समान है इस भावना को अगर वास्तविक रूप में किसी ने चरितार्थ किया है तो वह कैमरा ही है। आज एक परिवार के विभिन्न सदस्य जो देश के अलग-अलग राज्यों और विश्व के अलग-अलग शहरों में रहते हैं मोबाइल कैमरे से लाइव वीडियो चैटिंग के माध्यम से प्रतिदिन एक दूसरे से मिलते रहते हैं और दूरियां समाप्त हो गई हैं।आज संचार का हर माध्यम कैमरे से जुड़ चुका है, बड़े-बड़े दफ्तरों और सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण संस्थानों से निकाल कर सीसीटीवी कैमरे शहर के हर चौराहे सभी महत्वपूर्ण दुकानों प्रतिष्ठानों और घरों के बाहर और अंदर लग चुके हैं, इंटरनेट के माध्यम से जोड़कर सीसीटीवी कैमरे मैं कैद हो रही है गतिविधि हाथ में मौजूद स्मार्टफोन में लगातार देखी जा रही है। अपराध पर लगाम लगाने और अपराधियों की धरपकड़ में पुलिस तथा सुरक्षा संगठनों के लिए यह महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।कोई भी नई सौगात फायदे के साथ-साथ नुकसान भी लेकर आती है, इससे फोटोग्राफी भी अछूती नहीं। स्मार्टफोन कैमरों ने लोगों की निजता पर सबसे बड़ा प्रहार किया है। अब सार्वजनिक स्थलों से लेकर प्राइवेट परिसर तक मोबाइल कैमरे जाने अनजाने लोगों का पीछा कर रहे हैं और गतिविधियों को रिकॉर्ड कर रहे हैं, जो लोगों के लिए कई तरह की मुसीबतें खड़ी कर रहे हैं। बहुत सारे अंतरंग संबंधों में मोबाइल कैमरे की पहुंच है और संबंध बिगड़ने के बाद यह तस्वीरें ब्लैक मेलिंग से लेकर के निजता के हनन के अपराध को जन्म दे रही हैं।पारिवारिक और सामाजिक कार्यक्रमों में हर व्यक्ति स्मार्टफोन कैमरे से फोटो और वीडियो रिकॉर्ड करने लगता है जिससे आयोजकों के लिए एक नया सिरदर्द खड़ा हो गया है। प्रोफेशनल रूप से इंगेज किए गए फोटोग्राफरों के लिए इस तरह के शौकिया फोटोग्राफर नई चुनौतियां खड़ी कर रहे हैं।एक जमाना था जब शादी-ब्याह के एल्बम का क्रेज हुआ करता था। और तस्वीरों के इंतजार का रोमांच होता था।कागज के पन्नों के बने एल्बम के फोल्डर में तिकोने क्लिप में फंसा कर लगाई गई ब्लैक एंड वाइट फोटोग्राफ का एल्बम लोग सहेज कर रखते थे और ड्राइंग रूम की टेबल में बड़े शान से वह स्थान पाते थे। आज एल्बम का स्थान डिजिटल फोटोग्राफी और प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी के माध्यम से आधुनिक कॉफी टेबल बुक ने ले लिया है। एल्बम बाद में पहुंचता है और इस स्मार्टफोन में कॉफी टेबल बुक का ई-बुक पहले पहुंच जाता है। 3 घंटे के लंबे वीडियो कैसेट की जगह 10 मिनट के वीडियो टीज़र ने ले ली है।आज फोटोग्राफी ने रोजगार के नए रास्ते खोल दिए हैं, टिक टॉक से लेकर यूट्यूब चैनल्स तक साधारण से साधारण लोग धमाल मचा रहे हैं।खगोल विज्ञान हो या मेडिकल साइंस या अपराध अनुसंधान, हर जगह फोटोग्राफी ने रिसर्च और जानकारी के नए आयाम खोल दिए हैं।फोटो सहेज कर रखने की तकनीक ने अकल्पनीय विकास किया है। आप खाली हाथ कहीं भी हो इंटरनेट से जुड़ते ही गूगल ड्राइव में सहेज कर रखा गया आपका फोटो और वीडियो का डाटा देखा और शेयर किया जा सकता है। फ्लॉपी डिस्क, सीडी, डीवीडी, पेन ड्राइव और हार्ड डिस्क से होते हुए क्लाउड स्टोरेज तक या यात्रा आगे कहां तक पहुंचेगी इसका अनुमान लगाना अभी मुश्किल है।पिछले दो दशक में डिजिटल कैमरों के स्वरूप में जो जमीन आसमान का अंतर हो गया है वह आने वाले दशक में क्या नए गुल खिलाएगा इसका अंदाजा अभी लगा पाना संभव नहीं।

आपको जश्न-ए-आजादी की मुबारकबाद !!

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